नमस्कार दोस्तों आज मैं आपको भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक श्री खाटू श्याम मंदिर के बारे में जानकारी दूंगा। खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नामक गांव में स्थित है। यह मंदिर सीकर जिले से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खाटू श्याम मंदिर में प्रतिवर्ष करीब 90 लाख से अधिक खाटू श्याम के भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है।
खाटू श्याम का इतिहास
खाटू श्याम के बचपन का नाम बर्बरीक था। यह पांडव में सबसे बलशाली भीम और हिडिंबा के पौत्र तथा घटोत्कच और मोरवी के पुत्र थे। बर्बरीक नाम इनके बब्बर शेर के जैसे बालों की वजह से रखा गया था।
यह बचपन से ही बहुत शक्तिशाली थे और इन्होंने धनुर्विद्या अपनी माता मोरवी और भगवान श्री कृष्ण से सीखी थी। इन्होंने भगवान शिव की तपस्या करके उनसे वरदान स्वरूप तीन तीर प्राप्त किया था। इन तीन तीरो के बारे में कहा जाता है की इनसे किसी भी युद्ध को जीता जा सकता था और मां दुर्गा से इन्हें धनुष भी प्राप्त हुआ था।
जब महाभारत का युद्ध होना निश्चित हो गया तो यह अपनी माता के पास गए और उनसे युद्ध में लड़ने की आज्ञा मांगी, वहां पर इन्होंने अपनी माता को यह वचन दिया कि पांडव और कौरव में जो भी पक्ष हारेगा मैं उसकी तरफ से युद्ध लडूंगा और उसे विजय बनाऊंगा।
जब यह बात भगवान श्री कृष्ण को पता चली तो उन्होंने सोचा कि अगर बर्बरीक अकेले ही युद्ध करेंगा तो कौरवों को हराया नही जा सकता है और यह युद्ध बहुत ही अधर्म पूर्ण होगा तो भगवान श्री कृष्ण ने एक ब्राह्मण का रूप बनाया और बर्बरीक के पास जा पहुंचे उन्होंने बर्बरीक का भेद जानने के लिए उन्हें रोका और उनकी बातों को सुनकर उनकी हंसी उड़ाई कि मात्र 3 बाणों से कैसे युद्ध को समाप्त किया जा सकता है।
ब्राह्मण रूपी भगवान श्रीकृष्ण की बातें सुनकर बर्बरीक ने यह कहा कि मैं एक बाण से ही पूरे युद्ध को समाप्त कर देगा और और वह बाण फिर से मेरे तरकस में वापस आ जाएगा। दोनों लोग एक पीपल के पेड़ के पास यह वार्तालाप कर रहे थे तो भगवान श्री कृष्ण ने उनसे कहा तुम इस युद्ध को छोड़ो अगर तुमने इस पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को एक ही बाण से भेद दिया तो मैं मान जाऊंगा की यह युद्ध तुम एक ही बार से जीत जाओगे।
बर्बरीक ने अपने तरकस से बाण को बाहर निकाला और उससे पीपल के पत्तों को तीर से भेद दिया लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा लिया था तो तीर भगवान श्री कृष्ण के पैर के आसपास मंडराने लगा और तो बर्बरीक ने ब्राह्मण रूपी भगवान श्री कृष्ण को अपना पैर हटाने के लिए बोला।
भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि तुम किस तरफ से लड़ोगे तो बर्बरीक ने कहा कि जो पक्ष हार रहा होगा मैं उसी का साथ दूंगा। श्री कृष्ण जानते थे की युद्ध में हार तो कौरवों कि होगी और इस कारण अगर बर्बरीक ने उनका साथ दिया तो परिणाम गलत पक्ष में चला जाएगा।
अतः ब्राह्मण रूपी श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान की अभिलाषा की। बर्बरीक ने उन्हें वचन दिया और दान मांगने को कहा तो भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका सर दान में मांगा।
बर्बरीक ने कुछ देर के लिए आश्चर्यचकित हो गए कि ब्राह्मण को मेरे सिर से क्या फायदा होगा तो उन्होंने ब्राह्मण रुपी श्री कृष्ण से अपने असली अवतार में आने को कहा तब भगवान श्रीकृष्ण जो ब्राह्मण रूप में थे अपने असली रूप में प्रकट हुए और उन्होंने बर्बरीक को बताया कि अगर तुमने युद्ध में हिस्सा लिया तो कौरवों की जीत होगी और धर्म पर अधर्म की जीत होगी।
अतः तुम्हें अपना सिर काटकर मुझे अर्पित करना होगा। बर्बरीक ने एक बार भी नहीं सोचा और अपना सिर काट कर भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित कर दिया पर उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से पूरे युद्ध को देखने की इच्छा प्रकट की।
भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक कि इस बात का मान रखते हुए उन्हे युद्ध भूमि में सबसे ऊंचे टीले पर उनका सिर रख दिया और उन्होंने पूरा युद्ध वहीं से देखा।
भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक कि इस बहादुरी से प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें पूरे महाभारत के युद्ध का सबसे बड़ा योद्धा करार दिया।
भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को यह वरदान दिया की कलयुग में तुम्हारा नाम श्याम के नाम से प्रसिद्ध होगा और तुम खाटू श्याम के रूप में जाने जाओगे।
खाटू श्याम ने अपना शीश का दान फाल्गुन माह की द्वादशी को दिया था, इस प्रकार वे शीश के दानी कहलाए। उनका शीश राजस्थान के सीकर जिला के खाटू ग्राम में दफनाया गया था इसलिए उन्हें खाटू श्याम बाबा कहा जाता है।
इस मंदिर का निर्माण रूप सिंह ने 1027 ईस्वी मे करवाया था और इस मंदिर का जीर्णोद्धार मारवाड़ के शासक ठाकुर के दीवान अभय सिंह ने 1720 ईस्वी में करवाया था।
मंदिर इस समय अपने वर्तमान आकार ले लिया है और मूर्ति गर्भ गृह में प्रतिस्थापित की गई है। मूर्ति दुर्लभ पत्थरों से बना है।
खाटू श्याम, खाटू गांव के और उसके आसपास के परिवारों के कुलदेवता है।
खाटू श्याम मंदिर का निर्माण
खाटू श्याम मंदिर में आपको भारत की समृद्धि वास्तुकला देखने को मिलेगी इस मंदिर का निर्माण पत्थर टाइल्स चुने की मोटार और अन्य कई प्रकार के पत्थरों से किया गया है।
यह मंदिर शहर के बीचोबीच स्थित है, इस मंदिर के दीवारों पर पौराणिक देवी देवताओं के चित्रों को चित्रित किया गया है।
खाटू श्याम मंदिर के प्रवेश और निकास द्वार का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। खाटू श्याम बाबा की मूर्ति मंदिर के गर्भ गृह में रखी गई है और इसे फूल मालाओं से सुशोभित किया गया है।
मंदिर के सभी दीवारों को सोने की चादरों से सजाया गया है। मंदिर परिसर में ही आपको एक सुंदर बगीचा भी देखने को मिलता है जिसको श्याम बगीचा के रूप में जाना जाता है। मंदिर में पूजा करने के लिए व मूर्तियों के ऊपर फूल को चढ़ाने के लिए इस बगीचे के फूलों का उपयोग किया जाता है।
मंदिर के परिसर में ही श्याम कुंड नाम का सरोवर स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस सरोवर में नहाने वाले लोगों को के सभी को कोढ,चर्म रोग और सभी पाप आदि ठीक हो जाते हैं। सभी लोग मंदिर में दर्शन करने से पहले इस कुंड में स्नान करते हैं। इस कुंड में ही खाटू श्याम का शीश मिला था। इस मंदिर के पास ही दो और मंदिर भी हैं एक मंदिर गौरी शंकर मंदिर है और दूसरे का नाम गोपीनाथ मंदिर है
खाटू श्याम मंदिर कहां है
बाबा खाटू श्याम का मंदिर दिल्ली से 254 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर राजस्थान राज्य के सीकर जिले के रीगस टाउन के पास खाटू नामक गांव में स्थित है। आप यहां पर बस, कार, ट्रेन आदि के माध्यम से खाटू श्याम का दर्शन करने जा सकते हैं।
दिल्ली से बाबा खाटू श्याम मंदिर जाने का रास्ता
खाटू श्याम का मंदिर राजस्थान राज्य के सीकर जिले में स्थित यह मंदिर विश्व के हिंदू लोगों के प्रमुख मंदिर में से एक है। अगर आप दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर आना चाहते हैं तो इसके लिए आप वायु मार्ग और सड़क मार्ग से आ सकते हैं।
दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर ट्रेन के द्वारा
अगर आप दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर ट्रेन के द्वारा जा सकते हैं। आपको सबसे पहले दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन या पुरानी दिल्ली या नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से आपको जयपुर रेलवे स्टेशन तक आना होगा। यह दूरी 290 किलोमीटर तक है जिसे आप 5 से 6 घंटे में तय कर सकते हैं ।
जयपुर रेलवे स्टेशन आने के बाद आपको रेलवे स्टेशन से बाहर आकर सिंधी बस स्टैंड जाना होगा यहा से आपको खाटू श्याम जाने के लिए डायरेक्ट बस या टैक्सी मिल जाएगी। जयपुर रेलवे स्टेशन से खाटू श्याम मंदिर की दूरी लगभग 80 किलोमीटर के करीब है। जयपुर बस स्टेशन से खाटू श्याम मंदिर के लिए हर समय बस या टैक्सी मिलती रहती है।
दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर बस के द्वारा
अगर आप दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर बस के द्वारा जाना चाहते हैं तो आपको कश्मीरी गेट बस स्टेशन से खाटू श्याम के लिए हर समय बस उपलब्ध होती रहती है। अगर आप पूरे परिवार के साथ खाटू श्याम मंदिर जाना चाहते हैं तो आप प्राइवेट बस से जो केवल खाटू श्याम के लिए ही जाती हैं उससे जा सकते हैं। दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर की दूरी 260 किलोमीटर है तथा इस दूरी को पूरी करने के लिए आपको 6 से 7 घंटे लगते हैं। खाटू श्याम के लिए बस से हर समय पर उपलब्ध रहती हैं और यह बसें आपको खाटू श्याम के अलावा उसके आसपास अन्य मंदिरों के भी दर्शन करवाती है।
दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर हवाई जहाज के द्वारा
अगर आप दिल्ली से खाटू श्याम मंदिर हवाई जहाज के द्वारा जाना चाहते हैं तो खाटू श्याम के लिए कोई भी हवाई जहाज डायरेक्ट नहीं जाती इसके लिए आपको दिल्ली से जयपुर हवाई अड्डे तक आना होगा और यहां से बस या टैक्सी लेकर खाटू श्याम मंदिर जा सकते हैं। दिल्ली से जयपुर केंद्रीय कई सारी फ्लाइट उपलब्धि रहती हैं।
खाटू श्याम मंदिर में रुकने की जगह और खाने की व्यवस्था
खाटू श्याम मंदिर में देश विदेश से श्रद्धालु बाबा खाटू श्याम के दर्शन के लिए आते रहते हैं। श्रद्धालुओं के रुकने के लिए यहां मंदिर की तरफ से धर्मशालाओं की व्यवस्था की गई भक्त यहां पर रुक सकते हैं। यहां पर धर्मशाला के अलावा कई सारे होटल भी खुले हुए हैं जहां पर आप अपनी फैमिली के साथ रह सकते हैं।
अगर बात खाने पीने की चीजों की करे तो मंदिर में हमेशा भंडारा चलता रहता है, आप भंडारे में बाबा के प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा मंदिर के आसपास कई सारे निजी होटल और रेस्टोरेंट्स भी उपलब्ध रहते हैं, आप वहां पर भी खाना खा सकते हैं।
खाटू श्याम बाबा का दर्शन कैसे करें
बाबा खाटू श्याम का दर्शन करने के लिए आपको खाटू श्याम आना होगा और यहां आकर आपको रहने के लिए कोई धर्मशाला या होटल लेना होगा।
इसके बाद जब आप खाटू श्याम मंदिर का दर्शन करने के लिए जा रहे हैं तो आपको कुछ निम्न बातों का ध्यान रखना होगा :-
- मंदिर में बहुत भीड़ होती है तो आपको दर्शन करने के लिए अंदर नहीं जाने दिया जाएगा, बाहर से आप दर्शन कर सकते हैं लेकिन अगर आप अंदर जाकर दर्शन करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और आपको वहां से एक टिकट मिलेगा जिसके द्वारा आप बड़ी आसानी से बाबा खाटू श्याम का दर्शन कर सकते हैं।
- 18 साल से कम आयु वाले श्रद्धालुओं के लिए कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता है वे बिना रजिस्ट्रेशन के ही बाबा खाटू श्याम के दर्शन कर सकते हैं।
- खाटू श्याम मंदिर के अंदर आपके द्वारा कोई भी चीज लाना वर्जित है तो आप अपना पर्स, लैपटॉप,मोबाइल फोन आदि अपने होटल, धर्मशाला में ही रखें।
- आप अपने साथ केवल खाटू श्याम बाबा की पूजा करने के लिए पूजा सामग्री लेकर जाएं।
- बाबा के दर्शन करने से पहले आपको श्याम कुंड में स्नान करना होता है तथा स्नान करने के बाद आप बाबा खाटू श्याम के दर्शन कर सकते हैं।
- मैं आपको बता दूं की श्याम कुंड में ही बाबा खाटू श्याम की मूर्ति प्रकट हुई थी।
बाबा खाटू श्याम की पूजा कैसे करें
बाबा खाटू श्याम के चाहने वाले सारे देश में कई सारे भक्त हैं जो बाबा की पूजा अर्चना करना चाहते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को जो खाटू श्याम की पूजा करने कैसे की जाए इसके बारे में जानकारी रखते हैं बाबा खाटू श्याम का पूजा करना है बहुत ही सरल है।
बाबा खाटू श्याम की पूजा करने का तरीका
बाबा खाटू श्याम का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए हर समय खुला रहता है लेकिन विशेष दिन जिस दिन यहां पर भारी भीड़ होती है वह दिन हर महीने की द्वादश होती है।
ऐसी मान्यता है कि अगर कोई श्रद्धालु इस दिन बाबा खाटू श्याम की पूजा करता है तो वह साक्षात भगवान श्री कृष्ण की पूजा कर रहा होता है।
अगर कोई श्रद्धालु पांच द्वादश लगातार व्रत रखता है तो उसकी सारी मनोकामनाएं खाटू श्याम बाबा पूरी कर देते हैं। इसके अलावा अगर आप खाटू श्याम बाबा की पूजा अपने घर में या उनका मंदिर बनाकर करते हैं तो आपको सबसे पहले उस मंदिर और उस मूर्ति की अच्छे से सफाई करनी चाहिए और अच्छे से उसे कपड़े से साफ़ करना चाहिए।
उसके बाद बाबा की प्रतिमा को पानी और दूध से धोना चाहिए और बाबा को चढ़ाने के लिए फूल, जल, अक्षत और रोली आदि चीजों का प्रयोग करके उनकी आरती करनी चाहिए। उसके बाद अब आप बाबा को पंचामृत चढ़ाएं और पंचामृत को चढ़ाने के बाद बाबा खाटू श्याम को भोग लगाएं।
पूजा समाप्त होने के बाद बाबा खाटू श्याम से पूजा के दौरान हुई अपनी सारी गलतियों की माफी मांगे और बाबा खाटू श्याम का जयकारा लगाएं और अपने आसपास के लोगों को बाबा खाटू श्याम का प्रसाद रूपी पंचामृत और फल दे।
खाटू श्याम मंदिर के खुलने का समय
खाटू श्याम मंदिर श्रद्धालुओं के लिए हर मौसम में अलग-अलग समय पर खोला और बंद किया जाता है।
गर्मियों के मौसम में खाटू श्याम मंदिर के खुलने का समय
गर्मियों के मौसम में खाटू श्याम मंदिर सुबह 5:00 से दोपहर 12:30 बजे तक तथा शाम को 4:00 से रात्रि से के 10:00 बजे तक खुला रहता है।
सर्दियों के समय में खाटू श्याम मंदिर के खुलने का समय सर्दियों के मौसम में खाटू श्याम मंदिर सुबह के 5:30 से दोपहर के 1:00 बजे तक खुला रहता है तथा शाम को 5:00 से रात्रि के 9:00 बजे तक खुला रहता है।
इसके अलावा प्रत्येक साल फागुन महीने में लक्खी मेले के वर्क वक्त खाटू श्याम मंदिर श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे खुला रहता है।
खाटू श्याम मंदिर में आरती का समय
खाटू श्याम मंदिर में बाबा की आरती का समय गर्मियों और सर्दियों के मौसम में अलग-अलग समय पर किया जाता है।
आरती | ग्रीष्मकालीन समय | शीतकालीन समय |
मंगल आरती | प्रातः 4:30 बजे से | प्रातः 5:30 बजे से |
श्रृंगार आरती | प्रातः 7:00 बजे से | प्रातः 8:00 बजे से |
भोग आरती | दोपहर 12:30 बजे से | दोपहर 12:30 बजे से |
संध्या आरती | शाम 7:30 बजे से | शाम 6:30 बजे से |
शयन आरती | रात्रि 10:00 बजे से | रात्रि 9:00 बजे से |
खाटू श्याम के प्रमुख त्यौहार
खाटू श्याम मंदिर में फागुन महीने में सबसे बड़ा त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार 5 दिनों के लिए मनाया जाता है और इस त्यौहार में देश के बड़े-बड़े संगीतकार, गायक बाबा खाटू श्याम के भजन और आरती गाते हैं। इस दिन पूरे खाटू गांव में बहुत से श्रद्धालु आते और लोग इस त्यौहार को बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं।
खाटू श्याम मंदिर के आसपास घूमने की जगह
यदि आप बाबा खाटू श्याम के दर्शन करने आते हैं तो इस मंदिर के आसपास की कई सारी जगह है, जहां पर जाकर आप घुम सकते हैं इन जगहों में से कुछ निम्न है-
श्री श्याम वाटिका
खाटू श्याम मंदिर के बाई और श्याम बगीचा स्थित है। श्याम बाबा के भक्त आलू सिंह जी श्री श्याम वाटिका के फूलों से बाबा खाटू श्याम का रोजाना सिंगार करते थे। श्याम वाटिका में श्याम भक्त आलू सिंह जी की मूर्ति लगी हुई। बाबा के दर्शन करने के बाद भक्त आलू सिंह जी के भी दर्शन करते हैं। श्याम वाटिका में आपको भिन्न भिन्न प्रकार के फुल देखने को मिलते हैं, जिससे बाबा खाटू श्याम की पूजा की जाती है।
श्याम कुंड
खाटू श्याम मंदिर के पास में भी एक कुंड बना हुआ है जिसे श्याम कुंड कहा जाता है। लोगों का मानना है कि खाटू श्याम जी की मूर्ति को इस कुंड में से ही खोज कर निकाला गया था।
ऐसी मान्यता है कि इस कुंड के पानी से नहाने से शरीर के सभी चर्म रोग आदि बीमारियां ठीक हो जाती।
सालासर बालाजी महाराज
सालासर बालाजी महाराज और खाटू श्याम मंदिर की बीच की दूरी 110 किलोमीटर है। बालाजी मंदिर भगवान हनुमान जी का मंदिर है। यह मंदिर भारत के सभी हनुमान भक्तों के लिए एक प्रसिद्ध मंदिर है।
सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चूरु जिले में स्थित है। यहां पर चैत्र पूर्णिमा और अश्विन पूर्णिमा के दिन बहुत भव्य मेला लगता है। मंदिर के पास ही भक्तों के रहने के लिए धर्मशाला और खाने पीने के लिए रेस्टोरेंट भी बने हुए हैं। खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने वाले भक्त सालासर बालाजी महाराज के भी दर्शन करने के लिए आते हैं।
हनुमान मंदिर
खाटू श्याम मंदिर के आसपास घूमने लायक धार्मिक स्थलों में से एक है हनुमान जी का मंदिर जो नांगल भरडा गांव के सामोद पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर खाटू श्याम मंदिर से 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर राजस्थान के सबसे प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
हनुमान जी के इस मंदिर के लिए हरे भरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। इस मंदिर में हनुमान जी की 6 फीट की प्रतिमा स्थापित है और यहां पर भगवान श्री राम का भी एक मंदिर है। इस मंदिर को सामोद वीर हनुमान जी का मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर सामोद पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर को वीर हनुमान ट्रस्ट के संस्थापक सीताराम जी द्वारा बनवाया गया था।
लक्ष्मणगढ़ किला
लक्ष्मणगढ़ किला, राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ शहर में एक पहाड़ी पर बना हुआ है।इसका निर्माण सीकर के राव राजा लक्ष्मण सिंह द्वारा 1805 में लक्ष्मणगढ़ के रूप में बनवाया गया था। उन्होंने अपने नाम पर ही लक्ष्मणगढ़ गांव की भी स्थापना किया था। आज ये किला एक खंडहर के रूप में हो गया।
अगर आप ऐतिहासिक स्थलों को देखना चाहते हैं तो आपको यहां पर आना चाहिए। यह किला एक निजी संपत्ति है जो सीकर के झुनझुनवाला परिवार की है।
जीण माता मंदिर
जीण माता मंदिर से खाटू श्याम मंदिर 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जीण माता को मां दुर्गा का अवतार माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण आज से 1000 साल पहले किया गया था। जीण माता का वास्तविक नाम जयंतलाल था।
यहां पर दुर्गा पूजा के समय बहुत विशाल मेला लगता है, जिसमें जीण माता को मानने वाले भक्तगण आते हैं और माता का दर्शन करते हैं। एक बार क्रूर सम्राट औरंगजेब इस मंदिर को अपनी सेना के साथ लूटने के लिए आया था तो माता ने मधुमक्खियों का रूप धर कर औरंगजेब और उसकी सेना को इस स्थान से भगा दिया था।
औरंगजेब ने डर कर जीण माता से याचना की तो माता ने अपने गुस्से को शांत कर उसे माफ कर दिया था। जीण माता मंदिर के साथ-साथ भैरव नाथ बाबा का भी एक मंदिर पहाड़ पर स्थित है।
यह मंदिर माता जीण देवी के भाई हर्ष का है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई श्रद्धालु इन दोनों मंदिरों की दर्शन करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
गोल्डन वाटर पार्क
गोल्डन वाटर पार्क राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह मंदिर वाटर पार्क खाटू श्याम के पास ही स्थित है। जो श्रद्धालु खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं अपने परिवार के साथ वे अपने बच्चों को इस वाटर पार्क में लेकर जरूर आते हैं।
यहां पर वॉटर एक्टिविटीज, कॉस्टयूम, खाने पीने की जगह और पार्किंग सुविधा भी उपलब्ध है। इस वाटर पार्क में एडल्ट का एंट्री फीस ₹400 और 3 फीट 3 इंच से 4 फीट 6 इंच तक के बच्चों का एंट्री फीस मात्र 250 रुपए होता है ,जो देश के अन्य वाटर पार्क की तुलना में बहुत कम है। इस पार्क में 3 फीट 3 इंच से कम उम्र के बच्चों का एंट्री फीस बिल्कुल मुफ्त है।
गणेश्वर धाम
गणेश्वर धाम बाबा खाटू श्याम मंदिर से 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गणेश्वर धाम एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ एक धाम है, जहां पर सभी देवी देवताओं के अलग-अलग मंदिर बने हुए हैं।
जब आप इस धाम में पहुंचते हैं तो प्रवेश के साथ ही आपको छोटे-बड़े कई सारे देवी देवताओं के मंदिर दिखाई देंगे। चारों तरफ दीवार से ढकी हुई 1 कुंड भी दिखेगी जहां पर श्रद्धालु लोग स्नान करते हैं हुए दिखेंगे। इस कुंड के बारे में मान्यता है कि इस कुंड में नहाने से चर्म रोग का निदान हो जाता है।
यहां पर चर्म रोगी भी अपने रोगों का निदान करने के लिए आते हैं। यह मंदिर एक प्राचीन भारतीय सभ्यता धार्मिक महत्व और स्वास्थ्य लाभ हेतु यह धाम पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
FAQ
खाटू श्याम में क्या चीज फेमस है?
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नामक कस्बे में स्थित है। इस मंदिर के बारे में यह फेमस है कि खाटू श्याम बाबा के आशीर्वाद से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष 80 से 90 लाख से अधिक भक्त खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं।
खाटू श्याम कौन से महीने में जाना चाहिए?
खाटू श्याम मंदिर में खाटू श्याम बाबा के दर्शन करने के लिए साल के 12 महीने भक्तगण दर्शन के लिए आते हैं लेकिन अगस्त से लेकर मार्च तक का समय सबसे अच्छा होता है। खासतौर पर भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी के समय यहां पर सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं।
खाटू श्याम को क्या पसंद है?
खाटू श्याम बाबा का सबसे प्रिय भोग गौ माता का कच्चा दूध है। यह पहला भोग है जिसे श्याम बाबा ने खाटू की धरती पर सबसे पहले स्वीकार किया था।
खाटू श्याम जी को हारे का सहारा क्यों कहा जाता है?
बर्बरीक के त्याग से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि कलयुग में तुम्हारा नाम मेरे नाम पर श्याम होगा और हारे हुए लोगों की मनोकामना तुम्हारी पूजा करने से पूर्ण हो जाएगी इसलिए भगवान श्री कृष्ण के वरदान के कारण खाटू श्याम जी को हारे का सहारा कहा जाता है।
क्या खाटू श्याम जी 24 घंटे खुला रहता है?
कोरोना के समय खाटू श्याम मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद कर दिया गया था लेकिन अब खाटू श्याम मंदिर 24 घंटे खुला रहता है। भक्तगण कभी भी दर्शन कर सकते हैं।
बर्बरीक को 3 तीर किसने दिए थे?
बर्बरीक को 3 तीर भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान स्वरूप दिया था।
1 thought on “2023 में श्री खाटू श्याम मंदिर के दर्शन व यात्रा की संपूर्ण जानकारी”