नमस्कार दोस्तों आज मैं इस आर्टिकल में आपको गंगा सागर कहां है?, गंगा सागर कब जाना चाहिए ?, गंगा सागर में घूमने की जगह कौन-कौन सी है?, गंगा सागर में किसका मंदिर है ? आदि जानकारियां दूंगा।
गंगासागर हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थान है। यहां पर कुंभ के बाद सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। गंगासागर पश्चिम बंगाल के तट पर स्थित एक पवित्र द्वीप है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि गंगा सागर में नहाने से आपके सभी पाप कर्म खत्म हो जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में एक विशाल मेला का आयोजन होता है और लोग यहां पर स्नान करते हैं और अपने पितरों के लिए पिंड दान आदि कर्म करते हैं। गंगासागर मेला पूरे भारत में बहुत ही प्रसिद्ध है। गंगासागर में ही गंगा नदी बंगाल की खाड़ी में आकर मिलती है इसलिए यह एक पवित्र तीर्थ स्थल है।
गंगा सागर कहां है?
गंगा सागर धाम पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के सागर दीप पर स्थित है, इसे ही गंगा सागर भी कहते हैं। गंगा सागर बंगाल की खाड़ी के कॉन्टिनेंटल शेल्फ में कोलकाता से 150 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। इस द्वीप का प्रशासन पश्चिम बंगाल सरकार का है तथा यहां की कुल आबादी 160000 है जो 43 गांव में रहती है।
गंगा सागर के बारे में कुछ रोचक तथ्य
1. कुंभ मेले के बाद गंगा सागर मेला हिंदुओं का दूसरा सबसे बड़ा मेला है।
2. यह मेला हर साल मकर संक्रांति के दिन आयोजित होता है।
3. इस मेले में देश विदेश के हिंदू लोग आते हैं।
4. हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में नहाने से कार्य अत्यंत शुभ होता है तथा इससे लोगों के पाप धुल जाते हैं।
5. गंगा सागर एक टापू है जो गंगा नदी के मुहाने पर स्थित है।
6. गंगा सागर के आसपास घनी आबादी है और यह इलाका ग्रामीण लोगों से बसा हुआ है।
7. यहां के लोगों की मातृभाषा बंगाली है।
8. यहां के लोग नौकरी करने के लिए दक्षिण 24 परगना जाते हैं।
9. यहां पर साल भर कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है।
गंगासागर का इतिहास
भारतीय हिंदू धार्मिक ग्रंथों में यह लिखा हुआ है कि भगवान श्री विष्णु का धरती पर अवतरण हुआ था। उस काल में भगवान विष्णु, कपिल मुनि के रूप में धरती पर प्रकट हुए थे। उन्होंने अपना आश्रम गंगासागर के समीप बनाया था और वही पर रह कर तपस्या करते थे। उस समय धरती पर महा प्रतापी राजा सगर राज्य करते थे।
राजा सगर की प्रसिद्धि तीनों लोको मे थी। राजा सगर के प्रताप के बारे में सुनकर स्वर्ग के राजा इंद्र को अपनी सत्ता जाते हुए दिखी तो उन्होंने सोचा कि किसी भी तरह राजा सगर की प्रसिद्धि को रोका जाए नहीं तो 1 दिन राजा सगर स्वर्ग के राजा बन जाएंगे। एक दिन राजा सगर ने अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया, उन्होंने एक घोड़ा और उसके साथ अपने 60 हजार बेटों के साथ अपनी सेना भेजी।
जब सगर के पुत्र और सेना रात के समय सो रहे थे तो इंद्र देवता ने उनके घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम छोड़ दिया। जब सुबह हुई तो सगर के पुत्रों ने घोड़े को नहीं देखा तो वे उसे खोजते हुए कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे और उन्होंने देखा कि घोड़ा कपिल मुनि के आश्रम में घास चर रहा है। अश्वमेघ यज्ञ के बारे में कहा जाता है कि जो भी घोड़े को अपने पास रोकता है उसे युद्ध करना पड़ता है।
सागर पुत्रों ने कपिल मुनि पर चोरी का इल्जाम लगाया, सगर पुत्रों की बातों को सुनकर कपिल मुनि ने सगर पुत्रों को सेना सहित भस्म कर दिया। जब यह बात राजा सगर को पता चली तो उन्होंने कपिल मुनि के सामने जाकर उनसे अपने पुत्रों के अपराध के लिए क्षमा मांगी और अपना श्राप वापस लेने के लिए कहा लेकिन दिया हुआ श्राप कभी वापस नहीं होता है तो कपिल मुनि ने उनके पुत्रों के मोक्ष के लिये माँ गंगा को धरती पर लाने की सलाह दी।
राजा सगर के खानदान में राजा भगीरथ जी हुए जिन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपनी जटा जिसमें मां गंगा विराजमान थी उसे खोल दिया।
माँ गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे चलती रही और गंगासागर पहुंचकर उन्होंने भागीरथ के पूर्वजों का उद्धार किया और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो गयी। जिस दिन यह घटना घटी थी उस दिन मकर संक्रांति थी तो इसीलिए आज भी हिंदू लोग इस दिन को स्नान करते हैं और अपने पापों को धो देते हैं।
गंगा सागर धाम में लोकप्रिय पर्यटन स्थल
गंगासागर का सबसे प्रसिद्ध स्थल उसका समुद्र तट है इसके अलावा और कई सारे पर्यटन स्थल है जहां पर आप श्रद्धालु गण जा सकते हैं।
गंगा सागर का बक्खाली
बक्खाली, गंगा सागर के सबसे प्रसिद्ध और खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। यह दक्षिण बंगाल के नामखाना ब्लाक के अंतर्गत आने वाले सुन्दर डेल्टा द्वीपों में से एक पर स्थित है। यह 8 किलोमीटर के अर्धचंद्राकार दायरे में फैला हुआ बहुत ही सुंदर सागर तट हैं। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के मनमोहक दृश्यों को देखकर आप रोमांचित हो उठेगे।
शहरी जीवन के शोर-शराबे से हटकर आप बक्खाली के समुद्र तट पर आपको शांत वातावरण मिलता है। यहां पर विशालक्ष्मी मंदिर भी है जो समुद्र तट के आखरी छोर पर स्थित है। यह मंदिर गंगा सागर आने वाली वाले लोगों के लिए बहुत बड़ा धार्मिक केंद्र है।
गंगा सागर का भारत सेवा आश्रम
भारत सेवा आश्रम गंगा सागर के सबसे छोटे आश्रमों में से एक है। इसका संचालन एक गैर सरकारी ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। आश्रम में एक छोटा सा मंदिर है तथा यहां पर तीर्थयात्रियों और मेहमानों के लिए धर्मशालाएं भी बनी हुई है। गंगा सागर मेला के दौरान यहां पर काफी किफायती मूल्यों पर कमरों को पाया जा सकता है। यह आश्रम गंगा सागर आने वाले लोगों के लिए बहुत ही भरोसेमंद जगहों में से एक है।
गंगा सागर का सजनेखाली
सजनेखाली को सुंदरवन का प्रवेश द्वार भी कहते हैं और यहां पर वन विभाग का मुख्य कार्यालय भी स्थित है। यह लगभग 6110 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है और यह गौशाला ब्लाक के अंतर्गत आता है। सजनेखाली का वॉच टावर यहां के लोकप्रिय स्थलों में से एक है।
सजनेखाली वाच टावर से सुंदरवन की खूबसूरती को निहारा जा सकता है जो आपके मन को प्राकृतिक दृश्यों को देखकर रोमांच से भर देता है। सजनेखाली वाच टावर परिसर में एक प्रकृति व्याख्या केंद्र है और यहां पर एक बोनो बीवी मंदिर और एक मगरमच्छ पार्क भी बनाया गया है।
साल 2004 की सरकारी गणना के अनुसार इस अंचल में 27 बाघ नजर आए थे। यहां पर बाघों के अलावा मछुआरी बिल्ली (फिशिंग कैट), जंगली सूअर, मकाक, उड़ने वाली लोमड़ी, चीतल, पैंगोलिन और कई अन्य जानवर भी देखे जा सकते हैं।
उड़ते हुए पंछियों को देखने के शौकीन लोगों के लिए यहां पर किंगफिशर की सात रंगीन प्रजातियों वाइट बेलीड सी ईगल, प्लोवर्स, लैंप विंग्स,कर्फ्यू, व्हिम्प्रेल्स, सैंडपाइपर्स और कभी-कभी दिखाई देने वाले पेलिकन का दृश्य बहुत ही मनोरम नजारों में से एक होता है।
गंगा सागर का ओंकारनाथ मंदिर
गंगा सागर में भगवान शिव का ओंकार नाथ मंदिर बहुत ही पावन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव और उनके उपदेशों को समर्पित है। यह मंदिर अपने सबसे शांतिमय वातावरण और मनोहारी हरियाली के बीच में स्थित है। यहां पर बहुत कम श्रद्धालु आते हैं और यहां पर शांति पूर्वक भगवान ओंकार नाथ की पूजा अर्चना करते हैं।
गंगा सागर का कपिल मुनि का मन्दिर
यह मंदिर कपिल मुनि को समर्पित मंदिर है। यहां पर कपिल मुनि के मन्दिर के अलावा आपको मां गंगा और भागीरथ मंदिर मिल जाएंगे। यहां पर पवित्र जल में स्नान करने के बाद तीर्थयात्री कपिल मुनि की पूजा करने के लिए मंदिर आते हैं। कपिल मुनि मंदिर 1960 में चार अन्य मंदिर के साथ एक तूफान में नष्ट हो गए थे।
उनमें से केवल कपिल मुनि मंदिर का ही जीर्णोद्धार किया गया था। ऐसा माना जाता है कि मोक्ष प्राप्त करने के बाद कपिल मुनि वापस आए थे और अपनी मां को दिव्य ज्ञान दिया कि कैसे निर्वाण प्राप्त किया जा सकता है।
ऐसी मान्यता है कि जिस लड़की की शादी नहीं हो रहीं हैं यहां पर स्नान करती हैं उसकी इच्छा अनुसार वर तथा युवकों को उनकी इच्छानुसार वधू की प्राप्ति होती है। यहां पर श्रद्धालुओं के रहने के लिए आश्रम में बने हुए हैं जहां पर वह कम पैसों में रह सकते हैं।
गंगा सागर का सागर बीच (सागर तट)
गंगा सागर के तट पर ही हर वर्ष मकर संक्रांति पर लाखों पर्यटकों का मेला लगता है क्योंकि श्रद्धालु गंगा सागर के गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाने के लिए आते हैं। यह धार्मिक स्थल अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध है और यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने में आनंद आता है। बहुत सारे पर्यटक यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए आते हैं।
गंगा सागर का लाइट हाउस
गंगा सागर के तट के पास लाइट हाउस है। यह लाइट हाउस आसपास के क्षेत्रों के खूबसूरत नजारों को आपके सामने प्रस्तुतकर्ता है और यह पर्यटकों के लिए हमेशा खुला रहता है। रात के समय यहां का दृश्य बहुत ही मनोरम दिखाई देता है। फोटोग्राफी के शौकीन लोगों के लिए यह एक आदर्श स्थल है।
गंगा सागर खाने के लिए प्रसिद्ध भोजन
गंगासागर हिंदू का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है तो यहां पर आपको शुद्ध शाकाहारी खाना ही मिलता है। यहां पर कई सारे ढाबा और रेस्टोरेंट उपलब्ध है जहां पर आप अपने बजट के अनुसार सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
गंगा सागर घूमने के लिए कब जाएं
वैसे तो गंगा सागर घूमने के लिए कभी भी जाया जा सकता हैं लेकिन सबसे अच्छा समय अक्टूबर महीने से लेकर फरवरी महीने तक का होता है। इस समय सबसे अधिक श्रद्धालु गंगा सागर धाम में स्नान करने और घुमने के लिए आते हैं।
यहां पर सर्दियों के समय में मौसम बहुत ही खुशनुमा हो जाता है। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर यहां पर विशाल मेला का आयोजन किया जाता है।
गंगा सागर धाम में रुकने की जगह
अगर आप गंगा सागर धाम में रुकने की जगह खोज रहे हैं तो यहां पर बहुत सारी सरकारी और निजी धर्मशालाएं मिल जाएंगी और इसके लिए आपको अधिक खर्च करने की भी जरूरत नहीं होती है। यदि आप किसी आश्रम, धाम या होटल में रुकते हैं तो आपको ₹600 से लेकर ₹6000 तक अच्छे रूम मिल जाते हैं।
वही अगर आपका बजट कम है तो आप कपिल मुनि के आश्रम में रह सकते हैं। अगर आप अपने परिवार या दोस्तों के साथ गंगासागर धाम घूमने के लिए आ रहे हैं तो आप एक रूम में 3 लोग भी रह सकते हैं।
मकर संक्रांति के समय गंगा सागर में आपको धर्मशालाएं और आश्रम में रहने की जगह मिलनी बड़ी मुश्किल होती है तो इसके लिए आप थोड़ा पहले ही आ जाए तो आपको जगह मिल जाएगी।
गंगा सागर जाने में कितना खर्च आएगा?
अगर आप गंगा सागर जाना चाहते हैं और वहां पर कितना खर्चा होगा तो आपको आपके घर से कोलकाता तक आने का खर्चा और कोलकाता से गंगा सागर तक पहुंचने का खर्चा और गंगा सागर में रूम लेने का खर्चा तथा वहां पर घूमने और खाने का खर्चा कुल मिलाकर 10,000 से ₹15000 तक आ सकता है। अगर आप हवाई जहाज से कोलकाता तक आते हैं तो यह खर्च हवाई जहाज की किराया जितना होगा वो बढ़ सकता है।
गंगा सागर कैसे जाएं?
आप गंगासागर धाम जाने के लिए बस ट्रेन या हवाई जहाज का उपयोग कर सकते हैं।
बस के द्वारा गंगा सागर कैसे जाएं?
अगर आप कोलकाता से बस के द्वारा गंगा सागर जाना चाहते हैं तो यह सफर थोड़ा लंबा हो सकता है क्योंकि सबसे पहले आपको बाबूघाट से काकद्वीप के लिए बस पकड़ना होगा या फिर आप एस्प्लानेड बस टर्मिनस पर बस सेवा का उपयोग कर सकते हैं।
इस यात्रा में आपको कम से कम 3 घंटे का समय लगेगा और यहां से मूरीगंगा नदी को नाव के द्वारा पार करना होगा और आपको कचुबेरिया पहुंचना होगा। कचुबेरिया से आपको हर समय बस की सेवा उपलब्ध होती है तो आप कचुबेरिया से 1 घंटे में गंगासागर पहुंच सकते हैं।
ट्रेन के द्वारा गंगा सागर कैसे जाएं?
अगर आप कोलकाता से ट्रेन के द्वारा गंगासागर जाना चाहते हैं तो आप सियालदह से काकद्वीप या नामखाना तक रेल मार्ग की यात्रा चुन सकते हैं। हालांकि यह देश के विभिन्न हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है तो आप कोई भी स्टेशन चुन सकते हैं। आपको सागर दीप तक की यात्रा बस टैक्सी या फेरी के मेल से ही करनी होगी।
हवाई जहाज के द्वारा गंगा सागर कैसे जाएं?
आपने नजदीकी हवाई अड्डे से आप नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट ले सकते हैं जो गंगा सागर द्वीप से लगभग 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से आप अपने निजी साधन से या बस के द्वारा गंगा सागर धाम जा सकते हैं।
जल मार्ग से गंगा सागर कैसे जाएं?
जल मार्ग से गंगा सागर जाना चाहते हैं तो आपको हवाई अड्डे से उतरने के बाद आपको पानी वाले जहाज से आगे की यात्रा करनी होगी। आप पानी वाले जहाज से कचुबेरिया आईलैंड तक जाना होगा और यहां से आपको करीब 4 घंटे की यात्रा और करनी होगी।
आपको रास्ते में चारों तरफ पानी ही पानी देखने को मिलेगा और द्वीप जाने के बाद गंगा सागर धाम की दूरी सिर्फ 30 किलोमीटर रह जाती है जिसे आप बस या टैक्सी के द्वारा यह 30 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं। इस दूरी को तय करने में करीब 30 मिनट से 40 मिनट तक का समय लगता है।
गंगा सागर की यात्रा पर आप अपने साथ क्या लेकर जाएं?
गंगा सागर धाम एक द्वीप है तो यहां पर बिजली की सुविधा बहुत कम होती है तो आप अपने साथ इमर्जेंसी लाइट या टार्च जरूर लेकर आएं। गंगा सागर एक समुद्री इलाका भी है तो यहां पर बहुत सारे सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जानवर भी मिल सकते हैं तो इनसे अपनी सुरक्षा के लिए सांप और बिच्छू काटने से बचने वाली दवा और लाठी जरूर लेकर आएं।
अगर आप यहां पर किसी धर्मशाला या टेंट में रुकते हैं तो यहां पर बहुत सारे मच्छर होने से परेशानी होती है तो इससे बचने के लिए आप अपने साथ मच्छर मारने वाले काॅइल या मच्छरदानी जरूर लेकर आ आए।
FAQ
गंगासागर कौन से राज्य में स्थित है?
गंगासागर भारत के पश्चिम बंगाल प्रदेश के दक्षिण 24 परगना जिले में स्थित है।
गंगासागर जाने में कितना समय लगता है?
गंगासागर जाने में कोलकाता के सियालदह रेल्वे स्टेशन से 4 से 5 घंटे का समय लगता है।
कोलकाता से गंगासागर कितनी दूर है?
कोलकाता से गंगासागर की दूरी 130 किलोमीटर है।
सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार क्यों?
ऐसी मान्यता है कि राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को भगीरथ द्वारा यहीं पर मुक्ति मिली थी तथा यहां इस स्थान पर पितरों का श्राद्ध, पूर्वजों को मुक्ति दिलाई जाती है इसलिए यह स्थान भारतीय सनातन संस्कृति में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हर किसी को अपने जीवन में कम से कम एक बार गंगासागर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि इस स्थान की एक बार की यात्रा आपको अनेक स्थान की कई बार की गई यात्राओं से अधिक फल देती है इसलिए कहा जाता है सारे तीरथ बार बार गंगासागर एक बार।
गंगासागर कौन से महीने में जाना चाहिए ?
गंगासागर में पूरे साल पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है लेकिन जनवरी के महीने में यहां पर पर्यटकों और श्रद्धालुओं की भीड़ लाखों की मात्रा में आते हैं। मकर संक्रांति के दिन यहां पर कई लाख लोग स्नान करते हैं।
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